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Thursday 15 March 2012

कन्‍या भूण हत्‍या

कुछ कारण हैं । जो लोग कन्‍या भूण समापन करते हैं ,आज का हाल यह है कि एक लड़की की शादी में अमूमन कम से कम 6 लाख रूपये से अधिक का खर्च आता है । जिसे एकदम निम्‍न श्रेणी का किफायती विवाह कह सकते हैं । क्‍या एक साधारण , सामान्‍य व्‍यक्ति इस खर्च को उठानें की हिम्‍मत जुटा सकता है, जिसकी आमदनीं छह से दस हजार रूपये महीनें हो । ऐसा व्‍यक्ति क्‍या खायेगा, क्‍या पहनेंगा, कैसे अपनें जीवन को  बचायेगा, फिर इस दुंनिया में क्‍या इसी लिये आये हैं कि केवल तकलीफें झेलो और आराम मौज मस्‍ती के लिये सोचो मत । एक कन्‍या को पहले जन्‍म दीजिये,फिर उसकी परवरिश कीजिये । परवरिश कोई ऐसे ही नहीं हो जाती, इसमें तिल तिल करके कितनीं रकम और कितना पैसा खर्च होता है । फिर पढ़ाई मार डालती है । इस मंहगाई के दौर में किस तरह की मंहगी पढ़ायी है, यह किसी से छुपा नहीं है । वर्षों तक  पढायी होती है कितना  पैसा खर्च होता है । लडकियों की सुरक्षा करना भी एक जहमत भरा काम है । पता नहीं कब किसकी बुरी नज़र लगे , कुछ भी शारीरिक अथवा यौन उत्‍पीड़न,  हो सकता है । फिर अंत में लडंका ढूंढिये और शादी करिये । यह कहना और लिखना   जितना आसान है, ऐसा है नहीं ।पढायी तक तो लड़की आपके पास रही , यहां तक तो आपका नियंत्रण रहा । जब योग्‍य वर की तलाश में निकलेंगें तब आटे दाल का भाव पता चलता है  
कन्‍या भ्रूण समापन एक प्रकार की सामाजिक समस्‍या है, जो पूर्णतया धन से जुड़ी है, लेकिन इसके साथ साथ कुछ दूसरे भी कारण हैं । समाज व्‍यक्तियों से बनता है । व्‍यक्तियों के सामनें समस्‍यायें होंगी तो लोग उसका समाधान भी ढूंढेंगे । इन्‍हें जो अपनें हित का समाधान मिलता है तो , वे उसे अपनानें में जरा भी नहीं हिचकिचायेंगे । आज का समाज झंझट पालना कतई नहीं चाहता । मां बाप जानते हैं कि लड़की पैदा करनें में सिवाय नुकसान के कोई फायदा नहीं है । यह विशुद्ध हानि और लाभ के गणित पर आधारित सस्‍वार्थ एकल दर्शन है ।
आज आप शादी करनें जाते हैं तो कम से कम 6 लाख रूपये दहेज में खर्च होगा । यह सबसे किफायती शादी होगी । आज के दिन , जो कन्‍या पैदा होगी उसका विवाह यदि औसत में 30 वर्ष की उम्र में करेंगें तो दहेज की क्‍या हालत होगी । एक अन्‍दाज के मुताबिक यह रकम 40 लाख से साठ लाख के आसपास होंनी चाहिये । क्‍योंकि जिस रफ्तार से मंहगाई बढ़ रही है उससे तो यही स्थिति बनती है । आपके यहां यदि एक लड़की है तो प्रतिवर्ष आपको सवा लाख से लेकर दो लाख रूपये बचानें पड़ेंगे , लडकी के शादी होंनें तक । यह रकम कहां से लायेंगे , यह सोचना आपका काम है । 

कन्‍या भ्रूण समापन एक प्रकार की सामाजिक समस्‍या है, जो पूर्णतया धन से जुड़ी है, लेकिन इसके साथ साथ कुछ दूसरे भी कारण हैं । समाज व्‍यक्तियों से बनता है । व्‍यक्तियों के सामनें समस्‍यायें होंगी तो लोग उसका समाधान भी ढूंढेंगे । इन्‍हें जो अपनें हित का समाधान मिलता है तो , वे उसे अपनानें में जरा भी नहीं हिचकिचायेंगे । आज का समाज झंझट पालना कतई नहीं चाहता । मां बाप जानते हैं कि लड़की पैदा करनें में सिवाय नुकसान के कोई फायदा नहीं है । यह विशुद्ध हानि और लाभ के गणित पर आधारित सस्‍वार्थ एकल दर्शन है । इसमे कतई दो राय नहीं हो सकती है कि इस समस्‍या की मूल में आर्थिक अवस्‍था, सुरक्षा से जुड़े पहलू , अधेड़ अवस्‍था या बृद्धावस्‍था की दहलीज पर घुसते ही मानसिक और शारीरिक टेंशन की समस्‍या , अनावश्‍यक भागदौड़ , लड़के  या योग्‍य वर ढूंढनें की शरीर और मन दोंनों तोड़ देनें वाली कवायदें , भागदौड़ , जब तक लड़का न मिल जाय तब तक का मानसिक टेंशन , बेकार का सिद्ध होंनें वाले उत्‍तर , जलालत से भरा लोंगों का , लड़के वालों का व्‍यवहार झेलकर हजारों बार , लाखों बार यही विचार उठते हैं कि लडकी न पैदा करते तो बहुत अच्‍छा  होता । स्‍वयं को अपराध बोध होंनें लगता है कि बेकार में लड़की पैदा की , एक जलालत और अपनें सिर पर ओढ़ ली । शांति , चैन , मन की प्रसन्‍नता सब सब नष्‍ट हो जाती है । आप जो काम कर रहें हैं , उसमें भी आप पिछड़तें हैं । पास , पडोंस , हेती , व्‍योवहारी , मित्र आदि कहनें लगते हैं कि लड़की क्‍या कुंवारी ही घर पर बैठाये रक्‍खेंगे । आज आप शादी करनें जाते हैं तो कम से कम 6 लाख रूपये दहेज में खर्च होगा । यह सबसे किफायती शादी होगी । आज के दिन , जो कन्‍या पैदा होगी उसका विवाह यदि औसत में 30 वर्ष की उम्र में करेंगें तो दहेज की क्‍या हालत होगी । एक अन्‍दाज के मुताबिक यह रकम 40 लाख से साठ लाख के आसपास होंनी चाहिये । क्‍योंकि जिस रफ्तार से मंहगाई बढ़ रही है उससे तो यही स्थिति बनती है । आपके यहां यदि एक लड़की है तो प्रतिवर्ष आपको सवा लाख से लेकर दो लाख रूपये बचानें पड़ेंगे , लडकी के शादी होंनें तक । यह रकम कहां से लायेंगे , यह सोचना आपका काम है ।   
समस्‍या का समाधान-
 1- कन्‍या भ्रूण हत्‍या की समस्‍या को रोकनें का समाधान केवल व्‍यक्तियों की इच्‍छा पर निर्भर है । मां बाप क्‍या चाहते हैं यह सब उनके विवेक पर छोड़ देना चाहिये । मेंरी सलाह यह है कि यदि पहला बच्‍चा लड़की भ्रूण है , यह पता चल जाय , तो इस पहले भ्रूण का समापन न करायें , किसी भी हालत में । पहले गर्भ का समापन करानें से स्‍थायी बन्‍ध्‍यत्‍व की समस्‍या हो सकती है या किसी गम्‍भीर प्रकार की यौन जननांगों की बीमारी , जो स्‍वास्‍थ्‍य को लम्‍बे अरसे तक बिगाड़ सकती है । प्रथम गर्भ तो किसी हालत में न गिरवायें । यह खतरनाक है ।  
2- आजकल लिंग परीक्षण करना सरल है । यह मां बाप की मर्जी पर र्निभर करता है कि वे कन्‍या पालना चाहते हैं । अगर नहीं चाहते तो इसका समापन कराना ही श्रेयस्‍कर है । अभी समापन कराना सस्‍ता है । एक कन्‍या का पालन जरूर करें, यदि वह प्रथम प्रसव से हो ।

3- यह न विचार करें कि आप के इस कार्य से लिंग का अनुपात कम हो रहा है या अधिक । यह एक सामाजिक और आर्थिक समस्‍या से जुड़ा हुआ पहलू है । इस समस्‍या का समाधान भी समाज को ही करना पडेगा । इसका ठेका आपनें अकेले नहीं ले रखा है ।
 4- लिंग अनुपात की गड़बड़ी से समलैंगिक विवाह को प्रोत्‍साहन मिलेगा  । लड़का , लड़का से और लड़की, लड़की से शादियां करेंगी तो दहेज का प्रश्‍न नहीं होगा । ऐसे ब्‍याह से अपनें देश की जनसंख्‍या की समस्‍या भी कुछ सीमा तक कम होगी ।

5- यदि बाइ-द-वे किसी मजबूरी से कन्‍या जन्‍मना ही चाहें जो जरूर जन्‍म दें । यदि आपको कन्‍या को पालनें पोषनें में दिक्‍कत आ रही तो किसी सुपात्र व्‍यक्ति , निसंतान को कन्‍या जन्‍मतें ही दे दें । यह बहुत बड़ा दान है । 

2 comments:

  1. ये एक गंबीर समस्या है इसके बारे में सिर्फ सरकार ही नही वरण हमे भी गंभीरता से सोचना होगा !!

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    The blog author very very thanks

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